राजस्थान खनिज संसाधन

खनिज संसाधन 
खनिज संसाधनों में राजस्थान एक समृद्ध राज्य है क्योंकि यहाँ अनेक प्रकार के खनिज उपलब्ध है। इसी कारण भूगर्भवेत्ताओ  ने इसे  खनिजों का संग्रहालय कहा है। यहाँ की प्राचीन एवं विविधतापूर्ण भूगर्भिक संरचना ने खनिज संसाधनों में भी विविधता को जन्म दिया है।

 भारत में राजस्थान का खनिज उत्पादन में विषेष महत्त्व है। जेस्पारगार्ने टवोलस्टोनाइट और पन्ना का राजस्थान देश का एकमात्र उत्पादक राज्य है। देश में उत्पादित जस्ता का 99 91प्रतिशतजिप्सम का 93 प्रतिशतऐस्बस्टोस का 89 प्रतिशतघिया पत्थर (सोप स्टोन) का 85 प्रतिशतसीसा का 77 प्रतिशतरॉक फास्फेट का 75 प्रतिशतफेल्सपार का 70 प्रतिशतबुल्फेमाइट का 50 प्रतिशततांबा का 36 प्रतिशत तथा अभ्रक का 22 प्रतिशत भाग राजस्थान का है। इसके अतिरिक्त इमारती पत्थर विषेषकर संगमरमर के उत्पादन में भी राजस्थान का विषेष महत्व है।

 राज्य के खनिजो  को तीन श्रेणियो  में विभक्त किया जाता है- 
1.   धात्विक खनिज ;डमजंससपब डपदमतंसेद्ध
2.   अधात्विक खनिज ;छवद दृ उमजंससपब डपदमतंसे द्ध
3. ऊर्जा उत्पादक खनिज ;च्वूमत च्तवकनबपदह डपदमतंसेद्ध
1.  धात्विक खनिज:  राजस्थान के धात्विक खनिजो  में लोहा-अयस्कमैंगनीजतांबासीसाजस्ताचांदीबैरेलियमटंगस्टन तथा केडमियम प्रमुख है। राज्य के धात्विक


राजस्थान के प्रमुख धात्विक खनिज
  राज्य के प्रमुख धात्विक खनिजो  के उत्पादन क्षेत्रों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है- लौह अयस्क - लौह अयस्क में राजस्थान महत्त्वपूर्ण नहीं है। राज्य में जयपुरसीकर के कुछ क्षेत्रों में बूंदी से भीलवाड़ाकांकरोलीउदयपुरडूँगरपुर होती हुई बांसवाड़ा की पेटी में लोहा अयस्क के भण्डार हैकिन्तु राज्य में व्यापारिक स्तर पर इसका खनन लाभकारी नहीं है। मैंगनीज -  राजस्थान में बांसवाड़ा जिले के लीलवानीनरडियासिवोनियाकालाखूंटासागवाइटालाकाचलातलवाड़ा आदि में निकाला जाता है। जयपुरउदयपुरऔर सवाई माधोपुर में भी मैंगनीज पाया जाता है। सीसा और जस्ता - राजस्थान सीसा-जस्ता उत्पादन में अग्रणी है। सीसा-जस्ता उत्पादक क्षेत्रोंमें चाँदी भी मिलती है। राज्य के प्रमुख सीसा-जस्ता के साथ ही चाँदी भी मिलती है। राज्य के प्रमुख सीसा-जस्ता उत्पादक क्षेत्र दक्षिणी-पूर्वी राजस्थान में उदयपुरराजसमंदडँूगरपुरबाँसवाड़ा और भीलवाड़ा में स्थित है। प्रमुख जस्ता-सीसा उत्पादक क्षेत्र है- जावरराजपुरा-दरीबा एवं आगूचा-गुलाबपुरा।


ताँबा- ताँबा राजस्थान के कई स्थानो  पर मिलता हैइनमें झुंझुंनू जिले में खेतड़ीसिंघाना तथा अलवर जिले में खो-दरीबा क्षेत्र महत्वपूर्ण हैं। खेतडी क्षेत्र में लगभग 8 करोड़ टन ताँबे  के भण्डार का अनुमान है। अलवर में खो-दरीबा के अतिरिक्त थानागाजी,कुषलगढ़सेनपरी तथा भगत का बास में भी ताँबे की खाने मिली है।

टंगस्टन- राज्य में डेगाना (नागौर जिला) क्षेत्र में टंगस्टन के भण्डार है। डेगाना स्थित खान देश में एक मात्र खान हैजहाँ टंगस्टन का उत्पादन हो रहा है। चाँदी- राजस्थान में सीसा-जस्ता के साथ मिश्रित रूप में   चाँदी का उत्पादन होता है। उदयपुर तथा भीलवाड़ा जिलो  की सीसा-जस्ता खदानो  से चाँदी प्राप्त होती हैवार्षिक उत्पादन लगभग तीस हजार किलोग्राम है।

अधात्विक खनिज
  राजस्थान अधात्विक खनिजो  के उत्पादन में महत्वपूर्ण स्थान रखता हैइन्हे  निम्न श्रेणियो में विभक्त किया जा सकता है-

उर्वरक खनिज- जिप्समरॉक फास्फेटपाईराइट
बहुमूल्य पत्थर- पन्नातामड़ाहीरा
आणविक एवं विद्युत उपयोगी- अभ्रकयूरेनियम
ऊष्मारोधीउच्चताप सहनीय एवं मृतिका खनिज- एस्बेटासफेल्सपारसिलिका सेण्डक्वाटर्टज,
मेगनेसाइटवरमेकुलेटचीनी मिट्टीडोलोमाइट आदि।
रासायनिक खनिज- नमकबेराइटग्र ेनाइटस्लेट आदि।
अन्य खनिज- घीया पत्थरकेल्साइटस्टेलाइट आदि।


राजस्थान के प्रमुख अधात्विक खनिज
प्रमुख अधात्विक खनिजो  का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत है-
ऐस्बेस्टॉस- राजस्थान ऐस्बेस्टास का प्रमुख उत्पादक है और भारत का 90 प्रतिशत भाग उत्पादित करता है। ऐस्बेस्टास के प्रमुख उत्पादक जिले उदयपुरडूँगरपुर है तथा अजमेरउदयपुर तथा जौधपुर में सीमित उत्पादन होता है।
फेल्सपार- राजस्थान भारत का 60 प्रतिशत फेल्सपार का उत्पादन करता है। राज्य का अधिकांष फेल्सपार अजमेर जिले से प्राप्त होता है। जयपुरपालीटोंकसीकरउदयपुरऔर बाँसवाड़ा में भी सीमित मात्रा में फेल्सपार मिलता है।
अभ्रक- राजस्थान में अभ्रक उत्पादन की तीन पेटियाँ-जयपुर-टोंक पेटीभीलवाड़ा-उदयपुर पेटी और अन्य में सीकर में तोरावाटी तथा अजमेरराजसमंदअलवर तथा पाली जिलो  में हैं।
जिप्सम- राजस्थान भारत का 90 प्रतिशत जिप्सम उत्पादित करता है। इसके प्रमुख उत्पादक क्षेत्रहै- बीकानेरहनुमानगढ़चूरू क्षेत्र,नागौर क्षेत्रजैसलमेर-बाड़मेरपाली- जौधपुर क्षेत्र हैं।
रॉक फास्फेट- राजस्थान देश का लगभग 56 प्रतिशत रॉक फास्फेट उत्पादित करता है। इसके उत्पादक जिले उदयपुरबाँसवाड़ा,जैसलमेर और जयपुर है।
डोलोमाइट- राज्य के बाँसवाड़ाउदयपुर और राजसमंद जिलो में प्रमुखता से तथा अलवर,  झुंझुनूंसीकरभीलवाड़ानागौर जिलो  में सीमित उत्पादन होता है। 
घिया पत्थर- राजस्थान में देश का 90 प्रतिशत घिया पत्थर उत्पादित होता है। राज्य में राजसमंदउदयपुरदौसाअजमेरअलवर,डूंगरपुरबाँसवाड़ाकरौली एवं भीलवाड़ा जिलो  से घिया पत्थर का उत्पादन होता है।
इमारती पत्थर- राजस्थान इमारती पत्थर के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ का संगमरमर प्रसिद्ध है। इसके लिए मकराना भारत भर में प्रसिद्ध है। संगमरमर के अन्य उत्पादक क्षेत्र किषनगढ़अलवरसीकरउदयपुर,राजसमंदबाँसवाड़ा में है। जालौरपालीबूंदी,अजमेर में भी संगमरमर सीमित खनन हो रहा है।

  चूना पत्थर सिराहीउदयपुरचित्तौड़गढ़बूंदीकोटाजैसलमेरबाँसवाड़ाअजमेरअलवरजयपुरनागौर और जौधपुर जिलो  में मिलता है।  सेण्ड स्टोन अर्थात  बालुआ पत्थर जौधपुरकोटाबूंदीभीलवाड़ाजिलो  में प्रमुखता से मिलता है।  अन्य इमारती पत्थरो  में ग्रेनाइटसिस्टक्वार्टजाइटस्लेटकॉजला भी राजस्थान में मिलता है। 


बहुमूल्य पत्थर 
  राजस्थान बहुमूल्य पत्थरों के उत्पादन के लिये भी प्रसिद्ध है। यहाँ पन्ना और तामड़ा प्रमुख रूप से उत्पादित होते हैं।  पन्ना एक सुन्दर हरे रंग का चमकीला रत्न होता है। पन्ना मुख्यत: उदयपुर जिले के उत्तर में एक पेटी मे मिलता है जिसका विस्तार देवगढ़ से कॉकरोलीराजसमंद जिले तक है। अजमेर के राजगढ़ से क्षेत्र में भी पन्ना मिलता है।  तामड़ा भी एक बहुमूल्य पत्थर है जो लाल,गुलाबी रंग का पारदर्षी रत्न है। राजस्थान में टां ेकअजमेरभीलवाड़ासीकर तथा चित्तोड़गढ़ मे तामड़ा निकाला जाता है। तामड़ा उत्पादन में राजस्थान का एकाधिकार है।  अन्य अधात्विक खनिजों में राजस्थान में केल्साइटबेण्टोनाइटनमकपाइराइट आदि का उत्पादन होता है। ऊर्जा संसाधनों में कोयला बीकानेर के पलाना में  और खनिज तैल बाड़मेरजैसलमेर में निकाला जाता है। इनका विवरण अगले अध्याय में किया जायेगा।


खनिज संरक्षण 
 राजस्थान मे जिस गति से खनिजो का शोषण हो रहा हैवह दिन दूर नहींजब ये खनिज समाप्त हो जाएंगे। खनिज एक प्राकृतिक सम्पदा हैयदि इसे अनियन्त्रित और अनियोजित तरीके से निकाला गया तो यह समाप्त हो सकता है। जब एक बार खनिज समाप्त हो जाते है तो इन्हे पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता क्योंकि लोखो वर्षों की प्रक्रिया से खनिज अस्तित्व मे आते है। अतः खनिजों का संरक्षण अति आवष्यक है। खनिज संरक्षण हेतु प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं-

(1) खनिज का बहुउद्देषीय उपयोग
(2) उत्खतित खनिजों से अधिकतम धातु प्राप्त करना 
(3) खनिजों के विकल्पों की खोज
(4)खनिजों का नियोजित खनन 
(5) धातु का बारम्बर प्रयोग
(6) गहराई तक खनन 
(7) भूगर्भिक सर्वेक्षण एवं दूर संवेदन तकनीक से नए खनिजों की खोज
(8) खनिज खनन पर सरकारी नियन्त्रण 
(9) उचित खनिज प्रबन्धन के अन्तर्गत निम्न कार्य किये जाने आवष्यक हैं - 
सर्वेक्षण 
खनिज उपयोग प्राथ्मिकता का निर्धारण
अनियन्त्रित खनन पर रोक
खनन में उन्नत तकनीक का प्रयोग
सामरिक एवं अल्प उपलब्ध खनिजों के उपयोग पर नियन्त्रण 
दीर्घकालीन योजना द्वारा खनिजों के उचित उपयोग
आधुनिक तकनीको  के माध्यम से नवीन खनिज भण्डारो  का पता लगाना
खनिज खनन से पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव न हो इसके लिये आवष्यक व्यवस्था करना आदि। 

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